ये बारिस और गुलाबी सर्दियाँ, तकरार और शोख़ मुस्कियाँ,
कमसिन शरारतें उसकी, दे गयीं नशीली यादों की तन्हाईयाँ,
कोई भी पढ़ सकता है, उसके चेहरे पर चाहत की परछाईयाँ,
ढूंढ लो चिराग से न मिलेगा ऐसा चेहरा और वो मासूमियाँ,
कमब्खत दिल भी पढ़ लेता है, उन होठों की अनबोली बोलियाँ,
'चन्द्र' रौशनी हो रही देखिए, बिन जलाए इश्क़ की मोमबत्तियाँ,
सतीश गंगवार
कमसिन शरारतें उसकी, दे गयीं नशीली यादों की तन्हाईयाँ,
कोई भी पढ़ सकता है, उसके चेहरे पर चाहत की परछाईयाँ,
ढूंढ लो चिराग से न मिलेगा ऐसा चेहरा और वो मासूमियाँ,
कमब्खत दिल भी पढ़ लेता है, उन होठों की अनबोली बोलियाँ,
'चन्द्र' रौशनी हो रही देखिए, बिन जलाए इश्क़ की मोमबत्तियाँ,
सतीश गंगवार